प्लास्टिक प्रदूषण पर क़ानूनी रूप से बाध्यकारी दस्तावेज़ पर सहमति बनाने के लिए, दक्षिण कोरिया के बुसान शहर में हुई पाँचवीं बैठक में गहन चर्चाओं के बावजूद, विभिन्न दृष्टिकोणों के बीच समन्वय की आवश्यकता को देखते हुए निर्णय लिया गया कि चर्चा 2025 में आगे बढ़ाई जाएगी।
एक प्रमुख वैश्विक चुनौती
प्लास्टिक प्रदूषण की समस्या एक प्रमुख वैश्विक चुनौती है। हर दिन कूड़े से भरे लगभग 2,000 ट्रकों के बराबर प्लास्टिक, महासागरों, नदियों और झीलों में फेंक दिया जाता है। यह वन्यजीवों एवं मानव स्वास्थ्य के लिए गम्भीर ख़तरा पैदा कर रहा है। माइक्रोप्लास्टिक के कण भोजन, पानी, मिट्टी और यहाँ तक कि मानव अंगों व नवजात शिशुओं के प्लासेंटा तक में पाए गए हैं। 2022 में संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण सभा के प्रस्ताव द्वारा अपनाई गई सन्धि के तहत प्लास्टिक के पूरे जीवन चक्र पर ध्यान देने के प्रयास किए गए हैं। इनमें एक क़ानूनी रूप से बाध्यकारी संधि के ज़रिए प्लास्टिक के उत्पादन, डिज़ाइन और निपटान के लिए उचित समाधान तलाश किया जाना शामिल हैं।
“अध्यक्ष के मसौदे” पर सहमति
25 नवम्बर को आरम्भ हुए सत्र में 170 से ज़्यादा देशों के प्रतिनिधियों और 440 से अधिक पर्यवेक्षक संगठनों समेत, 3 हज़ार 300 से अधिक लोगों ने भाग लिया।बैठक में शामिल प्रतिनिधियों ने पाँचवी अन्तर-सरकारी समिति की वार्ता (INC) के अध्यक्ष एक्वाडोर के राजदूत, लुइस वाया वल्दीवीसो द्वारा तैयार किए गए “अध्यक्ष के मसौदे” पर सहमति व्यक्त की। जो भविष्य की वार्ता के आधार के रूप में काम करेगा। प्रतिबद्धताएँ स्पष्टसमापन सत्र में संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) की कार्यकारी निदेशक इंगेर ऐंडरसन ने वार्ता में हुई प्रगति को स्वीकार करते हुए। शेष चुनौतियों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा, “प्लास्टिक प्रदूषण समाप्त करने की वैश्विक प्रतिबद्धता स्पष्ट है। उससे क़तई इनकार नहीं किया जा सकता है। बुसान में हुई वार्ता में हम क़ानूनी रूप से बाध्यकारी वैश्विक सन्धि पर सहमति के बेहद क़रीब पहुँच गए हैं। जो हमारे स्वास्थ्य, पर्यावरण एवं भविष्य को प्लास्टिक प्रदूषण के विनाशकारी प्रभावों से बचाएगी।